क्यूंकि हिंदी पढने का मज़ा देव नगरी में ही है..!
एक दिन एक पल एक इंसान कुछ ऐसा आता है
की आने वाले दिन महीने साल को छु जाता है
कुछ ऐसा ही हमारा प्रखर से नाता है.
इस निराशा भरी दुनिया में वो एक आशा की किरण लता है
एक ख्वाब तो देखा है हमने भी
पर डर गये थे उसके राह की मुश्किलें देखकर
पर एक दिन एक पल एक इंसान कुछ ऐसा आता है
की वो उस ख्वाब को पूरा करने की राह पर उँगली पकड़ कर चलवाता है
कुछ ऐसा ही हमारा प्रखर से नाता है
देखा तो था बोहोत से नेताओं को
मगर सब कहते थे हमें की हमारे पद चिन्हों पर चलो
जैसा हम कहें बस वैसा करते चलो
पर प्रखर कुछ अलग सा भाता है
जो हमारे पद चिन्हों को ही राह का नक्षा बनता है
जो हमें पीछे नहीं खुद के साथ चलता है
एक दिन एक पल एक इंसान कुछ ऐसा आता है
की आने वाले दिन महीने साल को छु जाता है
कुछ ऐसा ही हमारा प्रखर से नाता है
बचपन में मैंने चलना सीखा
फिर बड़ा हुआ तो लोगो को मतलब के लिए छल करता देखा
देखते देखते मैंने भी दुनिया से गिरना सीखा
पर भगवान् को तो कुछ और ही मंज़ूर था
की प्रखर इस चलने गिरने के रस्ते में आ गया
और सिद्धांतो की कद्र करना सीखा गया
उन् सिद्धांतो से दुनिया से लद्द जाता है वो
पर उनको हरता नहीं उनको भी कुछ सीखा आता है वो
ख़ुशी तो बहुत है हममे भी
पर दुःख के बदलो ने कहीं धक् दिया था उसे
पर प्रखर की मुस्कराहट
जिसमे दिल की ख़ुशी तो है ही
पर हर गम को ख़ुशी में बदल देने की ताकत भी है
जिसमे दुनिया की हर व्याकुलता को मिटाने की शक्ति भी है
बस येही देखकर हम भी झूम उठते हैं उनकी इस मुस्कराहट के साथ
और शुक्रिया करते हैं उस खुदा का क्यूंकि,
एक दिन एक पल एक इंसान कुछ ऐसा आता है
की आने वाले दिन महीने साल को छु जाता है
कुछ ऐसा ही हमारा प्रखर से नाता है.
फिर हमें गुस्सा बहुत आता है
पर फिर प्रखर गेम में आता है
जो चाहते हुए भी गुस्सा नहीं कर पाटा है
सोच बहुत कमाल की चीज़ है
ये आपको दुसरो से अलग बनती है
हमारे पास भी थी एक ऐसी सोच
पर फिर प्रखर ने आके हमसे पूछा
की सोचता तो दुनिया का हर एक इंसान
फिर तुम अलग कहाँ से हुए
और हम मूक होकर खड़े रह गये
वो तो जीता पीता सोता है उस एक सोच के साथ
उस एक लक्ष्य के साथ
हमें भी मिलती है प्रेरणा
की हममें अगर वो प्यास है
और खुद पर वो विशवास है
उसे पाने की आस है
फिर हमारी मंजिल भी पास है
बस देर है तो हमारे उस एक कदम उठाने की
ध्यान से देखें तो खुदा का घर भी पास है
एक दिन एक पल एक इंसान कुछ ऐसा आता है
की आने वाले दिन महीने साल को छु जाता है
कुछ ऐसा ही हमारा प्रखर से नाता है.
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